About Bhagat Singh in Hindi (Bhagat Singh History in Hindi)

Bhagat Singh

शहीद भगत सिंह देश के स्वतंत्रता सेनानियों में से एक थे,  उनका जन्म 27 सितम्बर, 1907 में  एक सिख परिवार में हुआ था। (Bhagat Singh Birth Date) उनके जन्म दिवस को भगत सिंह जयंती (Bhagat singh jayanti) भी कहा जाता है। भगत सिंह के पिता- सरदार किशन सिंह  किसान थे और माता विद्यावती कौर एक गृहणि थी|भगत सिंह का जन्म पंजाब के जिला लायलपुर में बंगा गांव में हुआ था। ये गांव पहले पंजाब में पड़ता था पर आजादी के बाद ये गांव पाकिस्तान में शामिल हो गया। (Bhagat Singh Birth Place)

Bhagat Singh Childhood Image




भगत सिंह की परवरिश बहुत ही साधारण हुई थी, पेशे से किसान पिता, खेती के साथ एक क्रन्तिकारी भी थे। खेत खल्यान के ज्ञान के साथ साथ वे अपनी मिटटी से जुड़े होने की सीख भी देते थे। देश प्रेम की ऐसी मिसाल जो अपनी जवानी में ही देश के लिए कुर्बान हो जाये, उस जज्बे को सलाम है। समय चाहे आज का या उस समय का जज्बा होना चाहिए इस देश के लिए कुछ कर गुजरने का।

कैसे बने भगत सिंह क्रांतिकारी? (How did Bhagat Singh became a freedom fighter?)








बहुत छोटी उम्र में ही देश प्रेम की भावना उनके मन में जागी  थी , फिर एक दिन एक ऐसा हादसा हुआ जिसने न जाने कितने लोगो को बेमौत मारा।  वो हादसा पंजाब के अमृतसर में जलियांवाला बाग़ में हुआ था।  13 अप्रैल, 1919 को जलियांवाला हत्यकांड में जो खून की नदिया बही , उसकी चीखे  आज भी जलियांवाला बाग़  की कोने कोने में सुनाई देती है।  ऐसी दिल दहला देने वाली घटना ने सबको झंझोर के रख दिया था और उसी घटना ने भगात सिंह के अंग्रेजो से आजादी पाने की चाह को और मजबूत कर  दिया था। उस वक़्त वे मात्र 12 वर्ष के थे। उस दिन उस 12 साल के भगत सिंह में छिपा क्रांतिकारी जाग गया। उस वर्ष की आयु के बच्चे के आगे अगर खून से लथपथ लोग तपड़ते हुए मर जाये, तो उसमे बदलाव तो आएगा ही, लेकिन इतना की वो इन निर्दोषो के हतियारे को सबक सिखाने के बारे में सोचे, ये किसी ने सोचा नहीं था|

Bullet Marks in Jallianwala Bagh Amritsar

यदि आप अमृतसर पंजाब में घूमने जाए, तो जलियांवाला बाग़ में आज भी 13 अप्रैल 1919 को चली गिलियो के निशान वहां देख  पाएंगे।



















जलियांवाला बाग़ में एक कुआँ भी स्थित है जिसमे खुदकर उस दिन बहुत से लोगो ने जान बचाने की कोशिश की थी।  आज उस कुए को शहीद कुए के नाम से जाना जाता है।

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